Saturday, January 18, 2014

ख्वाहिशें

1.ऐसे ही किसी मोड़ पर ग़र मिल जाये तुझसा एक हमसफ़र ,दिल को हार कर भी ख़ुशी का कर देंगे हम इजहार ॥ 


2.नज़र लग जाये न कहीं किसी की आपको सोचते हैं ,इसीलिए नज़रबट्टू खरीदने जा रहे हम जा रहे हैं 

3.तारीफ के अल्फाजों की कोई भी कमी नहीं आपके शब्दकोष में,हम भी कितने खुशनसीब है जो आप हैं मेरे दोस्तों की फेहरिस्त में 


4. दिन बीता जाये न आये नज़र आप यहाँ,ऐ मेरे अज़ीज ऐसे तुम खो गए हो कहाँ


जा रहे हैं हम अब नहीं जानते कब आयंगे , इतना यकीन है तेरी आहट होते ही झलक दिखा जरूर देंगे ॥ 

5.हमने पलकें झुकाईं तो मुस्कुराते है,हमने पलकें उठायीं तो मुस्कुराते हैं,

           जाने बात हुई है क्या मगर, हमारी हर अदा पे वो मुस्कुराते है ॥




6.जाने क्या बात है आज कुछ करने को मन नहीं चाहता ,मौसम ही इतना खुशगवार है कि बस मन  खेलने को उतावला है अल्फाजों से 

7.आप सा कोई दोस्त जो मेरे अल्फाजों को अहसासों को समझने वाला हो,तो कोई कैसे रोक सकता है पन्नों पे उतारने से ॥



8.पल जो आया है ,कल बीत जाना है,गम के बादलों को भी एक रोज छट  जाना है,आया है जो मुसाफिर उसे भी एक रोज चले जाना है,रात आयी है गर तो फिर सुबह को भी तो आना है ,डर  है किस बात का सनम ये तो जमाना है

9.मिली नज़रों से नज़र जाम हो गए खाली ,बात क्या थी शहर भर के हो गए मयखाने खाली ॥


10.छिपानी हो जो बात उसे जानना और भी जरूरी हो जाता है

क्योंकि छिपी हुई बात में ही तो कई राज दबे होते हैं ॥


11.अदाओं के जलवे तो रोज होते हैं,आज क़यामत होने दो,तन्हा कर दो हमें आज जरा सा रो लेने दो,आँखों के पैमानों को आज जरा खाली हो जाने  दो,भूल कर सब कुछ आज हमें जी भर पी लेने दो ॥


12.तेरी आँखों में है कशिश या कोई जादू,अपने दिल पर किस तरह रखों काबू ,होंठों पे नाम तुम्हारा आते-आते लव थरथरा जाते है जाने क्यूँ ॥

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