Thursday, January 23, 2014

लम्हे

फुर्सत के लम्हे हों जब हमको भी याद कर लेना,

                        बंद पलकों से ही सही अपने होने का अहसास करा देना । 

तमन्ना है इतनी हर रोज तुम हमारे ख्वाबों में चले आना ,

                        ख्वाबों के सहारे ही हम  बिता देंगे ये चार रैना । 

इंतज़ार में हर पल बिछा कर रखें हम  अपने ये नैना,

                      एक छोटी सी इल्तज़ा है ऐ सनम तू जल्दी आ जाना ॥

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