१. दुनिया की कही कुछ यूँ दिल से लगाई ,नज़र हमीं से फेर कर चल दिए ।
बात हमारे दिल की सुनते इससे पहले क्यूँ चल दिए ॥
क्यूँ हमसे जुदा होकर चल दिए,बयां करें क्या हाले दिल अपना ।
आये थे बहार बनकर ,हाय! क्यूँ पतझड़ बनकर चल दिए ॥
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२. मेरी मोहब्ब्त का जनाजा न निकल जाये डरती हूँ,
डर ही है जो हर पल चुप रह जाती हूँ ॥
कुछ कहने से पहले लव थरथरा जाते हैं ,
हर पल उनके पहलू में रहूँ ,चाहत में जिए जाती हूँ ॥
एक बार जो दिल की बात कह दूँ ,
दिल को मेरे सकून आ जाये ,
उनके दीदार हों तमन्ना हर पल यही रखती हूँ ॥
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३. तेरी आँखों से मिला जो पैगाम प्यार का,
हमने समझा जाम और पीते चले गए ॥
तेरे होंठों से सुने जो प्यार के दो बोल ,,
फूल समझा और चुनते चले गए ॥
आगोश में तुम्हारी आ जाएं इसी चाहत में ,
हम ज़माने में रुसवा होते चले गए ॥
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