मोहब्ब्त में तेरी इस क़दर होश गँवा बैठे हैं हम ऐ मेरे सनम ,
इन्तजार अब और नहीं होता आ ही जाओ ऐ मेरे सनम ||
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जिंदगी उतनी भी हसीन है नहीं ,जितनी आप समझते थे ,
नहीं तो मंजिलें आसान न हो जाती सनम ॥
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तेरी खातिर अब हम अंगारों पर चले जाना चाहते हैं ,
एक बार तो निगाहें मिला लेते ऐ मेरे सनम ॥
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Beautifully penned down!:)
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