बहुत तपा कर सूरज ने अपनी गर्मी से हाल-बेहाल कर दिया था , ,
कुछ बारिशों की बूंदों ने दिखा कर अपनी झलक से सबको खुश कर दिया है ,
न बरसे झूम कर तो भी क्या थोड़ी तो राहत दिला ही देगीं ये बूँद बारिशों की
एक बार जो बरस जाएणी ये झूम कर तो चाय और पकोड़ों का सिलसिला हो शुरू
दोस्तों संग नहीं तो बचपन की यादों के संग मस्ती भरी शाम बिताने का हो सिलसिला शुरू।
लो आज थोड़ी सी राहत दिलाने बूँद बारिशों की आपके आँगन चली ॥
No comments:
Post a Comment