Sunday, July 13, 2014

mausam

हर निगाह में हज़ार सवाल थे ,आसमान में एक भी बादल का टुकड़ा  भी नहीं था ,
एक बूँद की आस में पक्षी भी गगन मे ताक रहे थे ,एक बूँद की आस में हर कोई था ,
चटकती ,चिलचिलाती धूप का सामना कर सके ऐसा साहस अब किसी में भी नहीं था ,
सावन के महीने ने दे दी थी दस्तक फिर भी बादलों का जमावड़ा कहीं नज़र आता नहीं था ,
पेड़ पौधों की रौनकें खो सी गयी हैं ,धरती भी हसरत भरी निगाह से गगन को देख रही है ,
एक सवाल धरा की आँखों मैं भी है ,कब आओगी बरखा रानी और कितना इंतज़ार करना होगा ,
आज अचानक काले घने बादलों ने आकर घेर ऐसा लिया आसमान को ,
इंद्र देवता ने यूँ भिगोया कि  धरा संग हर ओर  ख़ुशी की लहर सी दौड़ गयी है , 
ऐसा लगता है अब सावन आ गया है,झूले न सही एक प्याला चाय संग मौसम का लुत्फ़ उठा ही लिया जाये ॥ 
                                                                        

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