Thursday, December 18, 2014

पुत्र प्यारा माँ का ,

शोर हर ओर इस तरह क्यों मचा हुआ है ,दर्द कोई बांटता क्यों नहीं उस माँ का,
सुबह गया जो काँधे पर बैग टांग ,आया नहीं अभी तक दुलारा आँख का तारा वो माँ का ,
सब अपने - अपनों को तलाशते, कोई एक तो आये आगे बढ़ कम जो करता गम उस माँ का ,
 कोई आकर इतना तो बतला जाता उस माँ, को इस जहाँ में अब नहीं है पुत्र प्यारा उस माँ का ,
बंद डब्बे में रखा था खाना माँ ने प्यार से ,क्या पता अब कोई न रहा खाने वाला लाडला उस माँ का ,
अपने पीछे की सीट पर बैठा छोड़कर जो पिता आया ,नहीं आएगा वो पुत्र प्यारा माँ का ,
आँसुंओं से दामन को भिगोती, सोचती काश आज न भेजती जो बेटे को तो साथ होता पुत्र उस माँ का ,
अपने सीने से लगा एक बार जी भर अब कभी भी न रो सकेगी ये दर्द कौन समझेगा माँ का ,
दहशतगर्दों को जन्म दिया है जिस माँ ने,किसी रोज दर्द हो ऐसा तब हाल-ए -दिल देखना है उस माँ का,तो 
अब वक्त आ गया है साथ मिल,हो जाओ एक  मिटा दो निशान ऐसे बेदर्दों  का जिन्होंने आंसू बहाया है माँ का ॥


 

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