Wednesday, October 7, 2015

अस्तित्व तेरा

मत सोचना इस जहाँ में तुझसे भी कोई है बड़ा, तेरे अस्तित्व के बीच बस पुरुष का है दम्भ खड़ा ,

डरता  है इस बात से वो जन्म देने वाली ऐ नार तू न बढ़ जाये उससे आगे अपने क़दमों को बढ़ा,

जिस देश के कण- कण में बसी सीता, अहिल्या की कथा, उस देश के पुरषों में तेरा ही अस्तित्व है बड़ा ,

इस धरा की तू ही है जननी सत्य बस यही है न कुड और है बडा सृष्टि के रचयिता भी तेरे ही जने  कोई भी सत्य न है इससे बडा 

1 comment:

  1. प्रेरक प्रस्तुति - शुभकामनाएँ

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