Monday, November 16, 2015

विश्व शौचालय दिवस 19 november 2015

मनुष्य जीवन की सबसे जरूरी अव्सय्कता है शौचालय। आज भी दूरस्थ गांव में खुले में शौच करने लाखो ग्राम वासी जाते हैं, इसका कारण है शौचालय न होना साथ ही शौचालय की महत्ता का मालूम न होना।  जिसके कारण सबसे अधिक परेशानी महिलाओं और लड़कियों को होती है. जिसमें सबसे अधिक यौन हिंसा का होना शामिल है।
१९ नवम्बर को विश्व शौचालय दिवस का मनाया जाना महज एक औपचारिकता ही नहीं है अपितु जागरूकता फैलाना भी है.
स्वछता के बारे में जागरूक करना है, यूँ तो अब शहरों में जगह- जगह सुलभ शौचालयों की व्यवस्था भी है परन्तु गावों में जहाँ भी शौचालय की व्यवस्था नहीं है वहां इसकी व्यवस्था करवाना साथ इसके बारे में सही और सटीक जानकारी भी फैलाना है, खुले में शौच से होने वाले नुक्सान के बारे में बताना है।
लाखों बच्चे कुपोषण का तो शिकार हो ही रहे हैं साथ ही अन्य बीमारियों से भी ग्रस्त हो जाते हैं, न केवल बच्चे अपितु बुजुर्ग भी इससे होने वाली बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं।
जब समस्त सुविधाएं नहीं होती थीं तब खुले में बने शौचालयों के कारण हैजा, कालरा भी फ़ैल जाता था जो की महामारी का रूप ले लेता था।
तो आवश्य्कता है की आज हर घर में हर गांव में शौचालय की व्यवस्था बनाने  की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं। सड़को पर मल - मूत्र त्यागने वालों के लिए भी ठोस नियम बनाने की अव्सय्कता है, न केवल नियम बांये जाएं अपितु उन पर कठोरता से अमल लाने की जरूरत है।
अब हमको साथ मिलकर इस दिशा में जागरूकता फैलानी होगी और स्तिथि को बेहतर बंनाने की दिशा में हर मुमकिन कदम बढ़ाने होंगे।  बस अब और नहीं देश, समाज, परिवार के स्वास्थ्य और स्वक्षता के लिए इंतज़ार नहीं कार्य करने होंगे।
बच्चों को सीखना होगा शौच के बाद हाथ अवश्य धोएं, बुजुर्गों और विकलांगों के लिए कमोड सिस्टम वाले शौचालयों की व्यवस्था की जाए। शौचालय से निकलने वाले पानी के निकास की उचित व्यवस्था हो, ताकि जो पानी पीने के लिए घरों तक पहुँचता है वो प्रदूषित न हो. साफ सफाई की बुनियादी जरूरतों के विकास में ठोस कदम उठाये जाने चाहिए।
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