Wednesday, December 31, 2014

नववर्ष की शुभकामनाएं


लो आ गया फिर एक नया साल लेकर खुशियों की सौगात,
जाते-जाते एक बार फिर याद दिल गया बीते सालों की,
फिर याद दिला गया एक बार याद मीठे बचपन की,
मोहल्ले के एक टी, वी, में एक साथ मानते नए साल की,
, याद दिला  गया मूंगफली के साथ गुड़ की ढेली की ,
साथ बैठते धूप सेंकते ठहाकों में गुजरे हसीं लम्हात की,
कुहासे की चादर असमान में और दादी की गर्म बिस्तर  की ,
याद दिला गया दादा-दादी और नानी के आशीर्वाद की ,
इंटरनेट और फोन के ज़माने में याद दिला गया ट्रंककाल की,
चिट्ठी-पत्री  हुई गुजरे ज़माने की बात की , 
अब तो फोन काल भी हुई बात बीते ज़माने की ,
हर ओर बस गूँज मची है फेसबुक और व्हाट्स आप की ,
कुछ खट्टी कुछ मीठी यादों को छोड़ स्वागत हो नयी उम्मीदों की ,
लो आ गया फिर नया साल ले कर सौगात खुशियों की॥
आप सभी को एक बार फिर से मेरी और से नववर्ष की शुभकामनाएं ॥।

Thursday, December 18, 2014

पुत्र प्यारा माँ का ,

शोर हर ओर इस तरह क्यों मचा हुआ है ,दर्द कोई बांटता क्यों नहीं उस माँ का,
सुबह गया जो काँधे पर बैग टांग ,आया नहीं अभी तक दुलारा आँख का तारा वो माँ का ,
सब अपने - अपनों को तलाशते, कोई एक तो आये आगे बढ़ कम जो करता गम उस माँ का ,
 कोई आकर इतना तो बतला जाता उस माँ, को इस जहाँ में अब नहीं है पुत्र प्यारा उस माँ का ,
बंद डब्बे में रखा था खाना माँ ने प्यार से ,क्या पता अब कोई न रहा खाने वाला लाडला उस माँ का ,
अपने पीछे की सीट पर बैठा छोड़कर जो पिता आया ,नहीं आएगा वो पुत्र प्यारा माँ का ,
आँसुंओं से दामन को भिगोती, सोचती काश आज न भेजती जो बेटे को तो साथ होता पुत्र उस माँ का ,
अपने सीने से लगा एक बार जी भर अब कभी भी न रो सकेगी ये दर्द कौन समझेगा माँ का ,
दहशतगर्दों को जन्म दिया है जिस माँ ने,किसी रोज दर्द हो ऐसा तब हाल-ए -दिल देखना है उस माँ का,तो 
अब वक्त आ गया है साथ मिल,हो जाओ एक  मिटा दो निशान ऐसे बेदर्दों  का जिन्होंने आंसू बहाया है माँ का ॥