Monday, December 28, 2015

चलो स्वागत नव वर्ष का कर लें

लो फिर एक वर्ष जा रहा है खट्टी मीठी यादें देकर,

हज़ार ख्वाहिशें,  हज़ार सपने अधूरे छोड़कर,

कुछ हो गए खफा हमसे, कुछ  हमसे जुदा हो गए,

कुछ मिल गए भूले- बिसरे, कुछ हमें ही बिसरा चले,

कुछ नए रिश्ते बना गए जो अनजाने थे, कुछ जाने थे जो, हमसे जुदा हो चले,

कुछ दिलों में  इस तरह बस गए, कुछ दिलों में खलिश छोड़ गए,

कुछ पल आँखों में इस कदर समां गए, कुछ नम आँखों को कर गए,

गलतियों को माफ़ कर हाथ दोस्ती का बढ़ा गए,

कुछ हाथ झटक परे हो चले,

चलो सब भूल जाते हैं, स्वागत नए वर्ष का करते हैं, 

न गम आँखों में हो न दिलों में कोई शिकवे,

सभी को साथ लेकर नए वर्ष में कदम रखें, 

चलो स्वागत नव वर्ष का कर  लें,चलो स्वागत नववर्ष का कर लें ॥



Wednesday, December 23, 2015

ठण्ड

पहाड़ों पर बढ़ने लगी है बर्फ की सफ़ेद चादर, अब मैदान भी इस कदर ठिठुरने लगे हैं,

बंद होने लगे दरवाजे घरों के, न है जिनके पास छत बेहाल वो भी सिकुडंने से लगे हैं,

तनों पर परतें चढ़ने लग गयी हैं, न है जिनके पास फटेहाल वो गुदड़ी में सिमटने लगे हैं,

गली -मोहल्लों में सन्नाटे पसरने लगे गए हैं, सड़को पर अलाव भी अब जलने लगे है,

दरख़्त और पत्ते भी सिकुड़ रहे हैं, परिंदे भी छिपने के लिए जगह ढूंढने लगे हैं,

सूरज की तपिश भी अब मंद पड़ने लगी है, रात कोहरे की चादर में खोने सी लगी है,

सर्द हवाओं के थपेड़े न जाने अब कितनों को आगोश में लेगी, 

ठण्ड एक बार फिर कहर ढाने को बेसब्र हो रही है ॥